अब फार्मासिस्ट भी खोल सकेंगे क्लीनिक
अब फार्मासिस्ट भी खोल सकेंगे क्लीनिक👉
अब फार्मासिस्ट भी फिजीशियन की तरह इलाज कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें बैचलर इन फॉर्मेसी का रजिस्ट्रेशन पीसीआइ (फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया) में कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद क्लिनिक के बाहर बोर्ड पर नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही शैक्षिक योग्यता लिखनी होगी। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के इस आशय के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश के करीब 1800 रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को इसका लाभ मिलेगा। इनमें से कुछ डिग्री और कुछ डिप्लोमा फार्मासिस्ट हैं। वर्तमान में इनमें से कुछ ने मेडिकल स्टोर खोल रखा है तो कुछ दूसरी जगह पर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार की शर्तों के अनुसार फार्मा क्लीनिक खोलने से पहले उन्हें एमबीबीएस डॉक्टर के साथ रहकर तीन माह का अनुभव लेना होगा। इसके बाद इन्हें प्रैक्टिस करने और दवा लिखने का हक मिल जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगा। यहां ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। अलग-अलग एसोसिएशन लंबे समय से सरकार से फार्मासिस्ट को इलाज करने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। तीन माह पहले फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फार्मासिस्ट प्रैक्टिस रेग्युलेशन एक्ट-2015 बनाकर इसकी अनुशंसा की थी। फार्मा क्लीनिक खोलने के लिए बैचलर इन फॉर्मेसी का रजिस्ट्रेशन पीसीआइ (फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया) में कराना अनिवार्य है। क्लीनिक में दवा रखने के लिए ड्रग विभाग से पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
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केंद्र सरकार की इस व्यवस्था से फार्मासिस्टों में खुशी है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने पीपीआर एक्ट-2015 के तहत सभी फार्मासिस्ट को फार्मेसी क्लीनिक खोलने का अधिकार दिया है। अब वे प्राइमरी लेबल पर इलाज कर सकते हैं। इससे काफी हद तक झोला छाप डॉक्टर से मुक्ति मिलेगी।
अब फार्मासिस्ट भी फिजीशियन की तरह इलाज कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें बैचलर इन फॉर्मेसी का रजिस्ट्रेशन पीसीआइ (फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया) में कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद क्लिनिक के बाहर बोर्ड पर नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही शैक्षिक योग्यता लिखनी होगी। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के इस आशय के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश के करीब 1800 रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट को इसका लाभ मिलेगा। इनमें से कुछ डिग्री और कुछ डिप्लोमा फार्मासिस्ट हैं। वर्तमान में इनमें से कुछ ने मेडिकल स्टोर खोल रखा है तो कुछ दूसरी जगह पर काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार की शर्तों के अनुसार फार्मा क्लीनिक खोलने से पहले उन्हें एमबीबीएस डॉक्टर के साथ रहकर तीन माह का अनुभव लेना होगा। इसके बाद इन्हें प्रैक्टिस करने और दवा लिखने का हक मिल जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगा। यहां ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। अलग-अलग एसोसिएशन लंबे समय से सरकार से फार्मासिस्ट को इलाज करने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। तीन माह पहले फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फार्मासिस्ट प्रैक्टिस रेग्युलेशन एक्ट-2015 बनाकर इसकी अनुशंसा की थी। फार्मा क्लीनिक खोलने के लिए बैचलर इन फॉर्मेसी का रजिस्ट्रेशन पीसीआइ (फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया) में कराना अनिवार्य है। क्लीनिक में दवा रखने के लिए ड्रग विभाग से पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
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केंद्र सरकार की इस व्यवस्था से फार्मासिस्टों में खुशी है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने पीपीआर एक्ट-2015 के तहत सभी फार्मासिस्ट को फार्मेसी क्लीनिक खोलने का अधिकार दिया है। अब वे प्राइमरी लेबल पर इलाज कर सकते हैं। इससे काफी हद तक झोला छाप डॉक्टर से मुक्ति मिलेगी।
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